कदा वृन्दारण्ये विपुलयमुनातीरपुलिने
चरन्तं गोविन्दं हलधरसुदामादिसहितम्।
अहो कृष्ण स्वामिन् मधुरमुरलीमोहन विभो
प्रसीदेति क्रोशन्निमिषमिव नेष्यामि दिवसान्।
कदा कालिन्दीयैर्हरिचरणमुद्राङ्किततटैः
स्मरन्गोपीनाथं कमलनयनं सस्मितमुखम्।
अहो पूर्णानन्दाम्बुजवदन भक्तैकललन
प्रसीदेति क्रोशन्निमिषमिव नेष्यामि दिवसान्।
कदाचित्खेलन्तं व्रजपरिसरे गोपतनयैः
कुतश्चित्सम्प्राप्तं किमपि लसितं गोपललनम्।
अये राधे किं वा हरसि रसिके कञ्चुकयुगं
प्रसीदेति क्रोशन्निमिषमिव नेष्यामि दिवसान्।
कदाचिद्गोपीनां हसितचकितस्निग्धनयनं
स्थितं गोपीवृन्दे नटमिव नटन्तं सुललितम्।
सुराधीशैः सर्वैः स्तुतपदमिदं श्रीहरिमिति
प्रसीदेति क्रोशन्निमिषमिव नेष्यामि दिवसान्।
कदाचित्सच्छायाश्रितमभिमहान्तं यदुपतिं
समाधिस्वच्छायाञ्चल इव विलोलैकमकरम्।
अये भक्तोदाराम्बुजवदन नन्दस्य तनय
प्रसीदेति क्रोशन्निमिषमिव नेष्यामि दिवसान्।
कदाचित्कालिन्द्यास्तटतरुकदम्बे स्थितममुं
स्मयन्तं साकूतं हृतवसनगोपीसुतपदम्।
अहो शक्रानन्दाम्बुजवदन गोवर्धनधर
प्रसीदेति क्रोशन्निमिषमिव नेष्यामि दिवसान्।
कदाचित्कान्तारे विजयसखमिष्टं नृपसुतं
वदन्तं पार्थेति नृपसुत सखे बन्धुरिति च।
भ्रमन्तं विश्रान्तं श्रितमुरलिमास्यं हरिममी
प्रसीदेति क्रोशन्निमिषमिव नेष्यामि दिवसान्।
कदा द्रक्ष्ये पूर्णं पुरुषममलं पङ्कजदृशं
अहो विष्णो योगिन् रसिकमुरलीमोहन विभो।
दयां कर्तुं दीने परमकरुणाब्धे समुचितं
प्रसीदेति क्रोशन्निमिषमिव नेष्यामि दिवसान्।

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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भारतीय संस्कृति व समाज के लिए जरूरी है। -Ramnaresh dhankar

आपका प्रयास सराहनीय है,आप सनातन संस्कृति को उन्नति के शिखर पर ले जा रहे हो हमारे जैसे अज्ञानी भी आप के माध्यम से इन दिव्य श्लोकों का अनुसरण कर अपने जीवन को सार्थक बनाने में लगे हैं🙏🙏🙏 -User_soza7d

हम हिन्दूओं को एकजुट करने के लिए यह मंच बहुत ही अच्छी पहल है इससे हमें हमारे धर्म और संस्कृति से जुड़कर हमारा धर्म सशक्त होगा और धर्म सशक्त होगा तो देश आगे बढ़ेगा -भूमेशवर ठाकरे

हिंदू धर्म के पुनरुद्धार और वैदिक गुरुकुलों के समर्थन के लिए आपका कार्य सराहनीय है - राजेश गोयल

वेदधारा का प्रभाव परिवर्तनकारी रहा है। मेरे जीवन में सकारात्मकता के लिए दिल से धन्यवाद। 🙏🏻 -Anjana Vardhan

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