भक्तानां सर्वदुःखज्ञं तद्दुःखादिनिवारकम्|
पातालजह्नुतनयातीरे वन्दे रसेश्वरम्|
भस्मबिल्वार्चिताङ्गं च भुजङ्गोत्तमभूषणम्|
पातालजह्नुतनयातीरे वन्दे रसेश्वरम्|
विपत्सु सुजनत्राणं सर्वभीत्यचलाशनिम्|
पातालजह्नुतनयातीरे वन्दे रसेश्वरम्|
शिवरात्रिदिने शश्वदारात्रं विप्रपूजितम्|
पातालजह्नुतनयातीरे वन्दे रसेश्वरम्|
अभिवाद्यं जनानन्दकन्दं वृन्दारकार्चितम्|
पातालजह्नुतनयातीरे वन्दे रसेश्वरम्|
गुडान्नप्रीतचित्तं च शिवराजगढस्थितम्|
पातालजह्नुतनयातीरे वन्दे रसेश्वरम्|
ऋग्यजुःसामवेदज्ञै रुद्रसूक्तेन सेचितम्|
पातालजह्नुतनयातीरे वन्दे रसेश्वरम्|
भक्तवत्सलमव्यक्तरूपं व्यक्तस्वरूपिणम्|
पातालजह्नुतनयातीरे वन्दे रसेश्वरम्|
रसेश्वरस्य सान्निध्ये यः पठेत् स्तोत्रमुत्तमम्|
रसेश्वरस्य भक्त्या स भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति|
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