भो शम्भो शिव शम्भो स्वयंभो
गङ्गाधर शङ्कर करुणाकर मामव भवसागरतारक
निर्गुणपरब्रह्मस्वरूप गमागमभूत प्रपञ्चरहित
निजगुणनिहित नितान्त अनन्त
आनन्द अतिशय अक्षयलिङ्ग
धिमित धिमित धिमि धिमि किट किट तों
तों तों तरिकिट तरिकिट किट तों
मतङ्गमुनिवरवन्दित-ईश सर्वदिगम्बरवेष्टितवेष
नित्य निरञ्जन नित्यनटेश ईश सभेश सर्वेश
विष्णु पंचक स्तोत्र
उद्यद्भानुसहस्रभास्वर- परव्योमास्पदं निर्मल- ज्ञानानन�....
Click here to know more..अपर्णा स्तोत्र
रक्तामरीमुकुटमुक्ताफल- प्रकरपृक्ताङ्घ्रिपङ्कजयुगां व....
Click here to know more..हनुमान साठिका अर्थ सहित
जय कपीश जय पवन कुमारा । जय जगबन्दन सील अगारा ॥ हे कपीश ! हे �....
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