अङ्गारकः शक्तिधरो लोहिताङ्गो धरासुतः।
कुमारो मङ्गलो भौमो महाकायो धनप्रदः।
ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृद्रोगनाशनः।
विद्युत्प्रभो व्रणकरः कामदो धनहृत् कुजः।
सामगानप्रियो रक्तवस्त्रो रक्तायतेक्षणः।
लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्मावबोधकः।
रक्तमाल्यधरो हेमकुण्डली ग्रहनायकः।
भूमिजः क्षत्रियाधीशो शीघ्रकोपी प्रभुर्ग्रहः।
नामान्येतानि भौमस्य यः पठेत्सततं नरः।
ऋणं तस्य च दौर्भाग्यं दारिद्र्यं च विनश्यति।
धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम्।
वंशोद्द्योतकरं पुत्रं लभते नात्र संशयः।
योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मङ्गलं बहुपुष्पकैः।
सर्वा नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम्।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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