जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
पान चढ़ें फूल चढ़ें और चढ़ें मेवा।
लडुवन का भोग लगे संत करे सेवा।
एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।
मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी।
अन्धन को आंख देत कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।
दीनन की लाज राखो शम्भु सुत वारी।
कामना को पूरा करो जग बलिहारी ।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
सूरश्याम शरण आये सुफल कीजे सेवा।

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वेदधारा के कार्य से हमारी संस्कृति सुरक्षित है -मृणाल सेठ

वेदधारा के प्रयासों के लिए दिल से धन्यवाद 💖 -Siddharth Bodke

आपकी वेबसाइट बहुत ही मूल्यवान जानकारी देती है। -यशवंत पटेल

यह वेबसाइट ज्ञान का अद्वितीय स्रोत है। -रोहन चौधरी

वेदधारा को हिंदू धर्म के भविष्य के प्रयासों में देखकर बहुत खुशी हुई -सुभाष यशपाल

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