चिदानन्दाकारं श्रुतिसरससारं समरसं
निराधाराधारं भवजलधिपारं परगुणम्।
रमाग्रीवाहारं व्रजवनविहारं हरनुतं
सदा तं गोविन्दं परमसुखकन्दं भजत रे।
महाम्भोधिस्थानं स्थिरचरनिदानं दिविजपं
सुधाधारापानं विहगपतियानं यमरतम्।
मनोज्ञं सुज्ञानं मुनिजननिधानं ध्रुवपदं
सदा तं गोविन्दं परमसुखकन्दं भजत रे।
धिया धीरैर्ध्येयं श्रवणपुटपेयं यतिवरै-
र्महावाक्यैर्ज्ञेयं त्रिभुवनविधेयं विधिपरम्।
मनोमानामेयं सपदि हृदि नेयं नवतनुं
सदा तं गोविन्दं परमसुखकन्दं भजत रे।
महामायाजालं विमलवनमालं मलहरं
सुभालं गोपालं निहतशिशुपालं शशिमुखम्।
कलातीतं कालं गतिहतमरालं मुररिपुं
सदा तं गोविन्दं परमसुखकन्दं भजत रे।
नभोबिम्बस्फीतं निगमगणगीतं समगतिं
सुरौघै: सम्प्रीतं दितिजविपरीतं पुरिशयम्।
गिरां मार्गातीतं स्वदितनवनीतं नयकरं
सदा तं गोविन्दं परमसुखकन्दं भजत रे।
परेशं पद्मेशं शिवकमलजेशं शिवकरं
द्विजेशं देवेशं तनुकुटिलकेशं कलिहरम्।
खगेशं नागेशं निखिलभुवनेशं नगधरं
सदा तं गोविन्दं परमसुखकन्दं भजत रे।
रमाकान्तं कान्तं भवभयभयान्तं भवसुखं
दुराशान्तं शान्तं निखिलहृदि भान्तं भुवनपम्।
विवादान्तं दान्तं दनुजनिचयान्तं सुचरितं
सदा तं गोविन्दं परमसुखकन्दं भजत रे।
जगज्ज्येष्ठं श्रेष्ठं सुरपतिकनिष्ठं क्रतुपतिं
बलिष्ठं भूयिष्ठं त्रिभुवनवरिष्ठं वरवहम्।
स्वनिष्ठं धर्मिष्ठं गुरुगुणगरिष्ठं गुरुवरं
सदा तं गोविन्दं परमसुखकन्दं भजत रे।
गदापाणेरेतद्दुरितदलनं दु:खशमनं
विशुद्धात्मा स्तोत्रं पठति मनुजो यस्तु सततम्।
स भुक्त्वा भोगौघं चिरमिह ततोSपास्तवृजिन:
परं विष्णो: स्थानं व्रजति खलु वैकुण्ठभुवनम्।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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वेदधारा का कार्य अत्यंत प्रशंसनीय है 🙏 -आकृति जैन

जय सनातन जय सनातनी 🙏 -विकाश ओझा

वेदधारा का प्रभाव परिवर्तनकारी रहा है। मेरे जीवन में सकारात्मकता के लिए दिल से धन्यवाद। 🙏🏻 -Anjana Vardhan

वेद धारा समाज के लिए एक महान सीख औऱ मार्गदर्शन है -Manjulata srivastava

😊😊😊 -Abhijeet Pawaskar

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