वन्दे निर्बाधकरुणामरुणां शरणावनीम्।
कामपूर्णजकाराद्य- श्रीपीठान्तर्निवासिनीम्।
प्रसिद्धां परमेशानीं नानातनुषु जाग्रतीम्।
अद्वयानन्दसन्दोह- मालिनीं श्रेयसे श्रये।
जाग्रत्स्वप्नसुषुप्त्यादौ प्रतिव्यक्ति विलक्षणाम्।
सेवे सैरिभसम्मर्दरक्षणेषु कृतक्षणाम्।
तत्तत्कालसमुद्भूत- रामकृष्णादिसेविताम्।
एकधा दशधा क्वापि बहुधा शक्तिमाश्रये।
स्तवीमि परमेशानीं महेश्वरकुटुम्बिनीम्।
सुदक्षिणामन्नपूर्णां लम्बोदरपयस्विनीम्।
मेधासाम्राज्यदीक्षादि- वीक्षारोहस्वरूपिकाम्।
तामालम्बे शिवालम्बां प्रसादरूपिकाम्।
अवामा वामभागेषु दक्षिणेष्वपि दक्षिणा।
अद्वयापि द्वयाकारा हृदयाम्भोजगावतात्।
मन्त्रभावनया दीप्तामवर्णां वर्णरूपिणीम्।
परां कन्दलिकां ध्यायन् प्रसादमधिगच्छति।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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वेदधारा के कार्यों से हिंदू धर्म का भविष्य उज्जवल दिखता है -शैलेश बाजपेयी

जय माधव आपकी वेबसाइट शानंदार है सभी लोगो को इससे लाभ होगा। जय श्री माधव -Gyan Prakash Awasthi

आपका प्रयास सराहनीय है,आप सनातन संस्कृति को उन्नति के शिखर पर ले जा रहे हो हमारे जैसे अज्ञानी भी आप के माध्यम से इन दिव्य श्लोकों का अनुसरण कर अपने जीवन को सार्थक बनाने में लगे हैं🙏🙏🙏 -User_soza7d

वेदधारा की धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल होने पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं - समीर

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