अन्नदात्रीं दयार्द्राग्रनेत्रां सुरां
लोकसंरक्षिणीं मातरं त्मामुमाम्।
अब्जभूषान्वितामात्मसम्मोहनां
देविकामक्षयामन्नपूर्णां भजे।
आत्मविद्यारतां नृत्तगीतप्रिया-
मीश्वरप्राणदामुत्तराख्यां विभाम्।
अम्बिकां देववन्द्यामुमां सर्वदां
देविकामक्षयामन्नपूर्णां भजे।
मेघनादां कलाज्ञां सुनेत्रां शुभां
कामदोग्ध्रीं कलां कालिकां कोमलाम्।
सर्ववर्णात्मिकां मन्दवक्त्रस्मितां
देविकामक्षयामन्नपूर्णां भजे।
भक्तकल्पद्रुमां विश्वजित्सोदरीं
कामदां कर्मलग्नां निमेषां मुदा।
गौरवर्णां तनुं देववर्त्मालयां
देविकामक्षयामन्नपूर्णां भजे।
सर्वगीर्वाणकान्तां सदानन्ददां
सच्चिदानन्दरूपां जयश्रीप्रदाम्।
घोरविद्यावितानां किरीटोज्ज्वलां
देविकामक्षयामन्नपूर्णां भजे।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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