श्रितजनमुख- सन्तोषस्य दात्रीं पवित्रां
जगदवनजनित्रीं वेदवनेदान्तत्त्वाम्।
विभवनवरदां तां वृद्धिदां वाक्यदेवीं
सुमनसहृदिगम्यां भारतीं भावयामि।
विधिहरिहरवन्द्यां वेदनादस्वरूपां
ग्रहरसरव- शास्त्रज्ञापयित्रीं सुनेत्राम्।
अमृतमुखसमन्तां व्याप्तलोकां विधात्रीं
सुमनसहृदिगम्यां भारतीं भावयामि।
कृतकनकविभूषां नृत्यगानप्रियां तां
शतगुणहिमरश्मी- रम्यमुख्याङ्गशोभाम्।
सकलदुरितनाशां विश्वभावां विभावां
सुमनसहृदिगम्यां भारतीं भावयामि।
समरुचिफलदानां सिद्धिदात्रीं सुरेज्यां
शमदमगुणयुक्तां शान्तिदां शान्तरूपाम्।
अगणितगुणरूपां ज्ञानविद्यां बुधाद्यां
सुमनसहृदिगम्यां भारतीं भावयामि।
विकटविदितरूपां सत्यभूतां सुधांशां
मणिमकुटविभूषां भुक्तिमुक्तिप्रदात्रीम्।
मुनिनुतपदपद्मां सिद्धदेश्यां विशालां
सुमनसहृदिगम्यां भारतीं भावयामि।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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