विराजमानपङ्कजां विभावरीं श्रुतिप्रियां
वरेण्यरूपिणीं विधायिनीं विधीन्द्रसेविताम्।
निजां च विश्वमातरं विनायिकां भयापहां
सरस्वतीमहं भजे सनातनीं वरप्रदाम्।
अनेकधा विवर्णितां त्रयीसुधास्वरूपिणीं
गुहान्तगां गुणेश्वरीं गुरूत्तमां गुरुप्रियाम्।
गिरेश्वरीं गुणस्तुतां निगूढबोधनावहां
सरस्वतीमहं भजे सनातनीं वरप्रदाम्।
श्रुतित्रयात्मिकां सुरां विशिष्टबुद्धिदायिनीं
जगत्समस्तवासिनीं जनैः सुपूजितां सदा।
गुहस्तुतां पराम्बिकां परोपकारकारिणीं
सरस्वतीमहं भजे सनातनीं वरप्रदाम्।
शुभेक्षणां शिवेतरक्षयङ्करीं समेश्वरीं
शुचिष्मतीं च सुस्मितां शिवङ्करीं यशोमतीम्।
शरत्सुधांशुभासमान- रम्यवक्त्रमण्डलां
सरस्वतीमहं भजे सनातनीं वरप्रदाम्।
सहस्रहस्तसंयुतां नु सत्यसन्धसाधितां
विदां च वित्प्रदायिनीं समां समेप्सितप्रदाम्।
सुदर्शनां कलां महालयङ्करीं दयावतीं
सरस्वतीमहं भजे सनातनीं वरप्रदाम्।
सदीश्वरीं सुखप्रदां च संशयप्रभेदिनीं
जगद्विमोहनां जयां जपासुरक्तभासुराम्।
शुभां सुमन्त्ररूपिणीं सुमङ्गलासु मङ्गलां
सरस्वतीमहं भजे सनातनीं वरप्रदाम्।
मखेश्वरीं मुनिस्तुतां महोत्कटां मतिप्रदां
त्रिविष्टपप्रदां च मुक्तिदां जनाश्रयाम्।
शिवां च सेवकप्रियां मनोमयीं महाशयां
सरस्वतीमहं भजे सनातनीं वरप्रदाम्।
मुदालयां मुदाकरीं विभूतिदां विशारदां
भुजङ्गभूषणां भवां सुपूजितां बुधेश्वरीम्।
कृपाभिपूर्णमूर्तिकां सुमुक्तभूषणां परां
सरस्वतीमहं भजे सनातनीं वरप्रदाम्।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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आपकी मेहनत से सनातन धर्म आगे बढ़ रहा है -प्रसून चौरसिया

आपका प्रयास सराहनीय है,आप सनातन संस्कृति को उन्नति के शिखर पर ले जा रहे हो हमारे जैसे अज्ञानी भी आप के माध्यम से इन दिव्य श्लोकों का अनुसरण कर अपने जीवन को सार्थक बनाने में लगे हैं🙏🙏🙏 -User_soza7d

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