जगज्जनिस्तेम- लयालयाभ्यामगण्य- पुण्योदयभाविताभ्याम्।
त्रयीशिरोजात- निवेदिताभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्यम्।
विपत्तमःस्तोम- विकर्तनाभ्यां विशिष्टसंपत्ति- विवर्धनाभ्याम्।
नमज्जनाशेष- विशेषदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम्।
समस्तदुस्तर्क- कलङ्कपङ्कापनोदन- प्रौढजलाशयाभ्याम्।
निराश्रयाभ्यां निखिलाश्रयाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम्।
तापत्रयादित्य- करार्दितानां छायामयीभ्यामति- शीतलाभ्याम्।
आपन्नसंरक्षण- दीक्षिताभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम्।
यतो गिरोऽप्राप्य धिया समस्ता ह्रिया निवृत्ताः सममेव नित्याः।
ताभ्यामजेशाच्युत- भाविताभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम्।
ये पादुकापञ्चकमादरेण पठन्ति नित्यं प्रयताः प्रभाते।
तेषां गृहे नित्यनिवासशीला श्रीदेशिकेन्द्रस्य कटाक्षलक्ष्मीः।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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😊😊😊 -Abhijeet Pawaskar

Ram Ram -Aashish

वेदधारा का कार्य अत्यंत प्रशंसनीय है 🙏 -आकृति जैन

अद्वितीय website -श्रेया प्रजापति

वेदधारा की समाज के प्रति सेवा सराहनीय है 🌟🙏🙏 - दीपांश पाल

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