ते ध्यानयोगानुगताः अपश्यन्
त्वामेव देवीं स्वगुणैर्निगूढाम्।
त्वमेव शक्तिः परमेश्वरस्य
मां पाहि सर्वेश्वरि मोक्षदात्रि।
देवात्मशक्तिः श्रुतिवाक्यगीता
महर्षिलोकस्य पुरः प्रसन्ना।
गुहा परं व्योम सतः प्रतिष्ठा
मां पाहि सर्वेश्वरि मोक्षदात्रि।
परास्य शक्तिर्विविधा श्रुता या
श्वेताश्ववाक्योदितदेवि दुर्गे।
स्वाभाविकी ज्ञानबलक्रिया ते
मां पाहि सर्वेश्वरि मोक्षदात्रि।
देवात्मशब्देन शिवात्मभूता
यत्कूर्मवायव्यवचोविवृत्या।
त्वं पाशविच्छेदकरी प्रसिद्धा
मां पाहि सर्वेश्वरि मोक्षदात्रि।
त्वं ब्रह्मपुच्छा विविधा मयूरी
ब्रह्मप्रतिष्ठास्युपदिष्टगीता ।
ज्ञानस्वरूपात्मतयाखिलानां
मां पाहि सर्वेश्वरि मोक्षदात्रि।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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आप जो अच्छा काम कर रहे हैं उसे जानकर बहुत खुशी हुई -राजेश कुमार अग्रवाल

यह वेबसाइट अद्वितीय और शिक्षण में सहायक है। -रिया मिश्रा

वेदधारा की धर्मार्थ गतिविधियों का हिस्सा बनकर खुश हूं 😇😇😇 -प्रगति जैन

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