शिवशर्वमपार- कृपाजलधिं
श्रुतिगम्यमुमादयितं मुदितम्।
सुखदं च धराधरमादिभवं
भज रे गिरिशं भज रे गिरिशम्।
जननायकमेक- मभीष्टहृदं
जगदीशमजं मुनिचित्तचरम्।
जगदेकसुमङ्गल- रूपशिवं
भज रे गिरिशं भज रे गिरिशम्।
जटिनं ग्रहतारकवृन्दपतिं
दशबाहुयुतं सितनीलगलम्।
नटराजमुदार- हृदन्तरसं
भज रे गिरिशं भज रे गिरिशम्।
विजयं वरदं च गभीररवं
सुरसाधुनिषेवित- सर्वगतिम्।
च्युतपापफलं कृतपुण्यशतं
भज रे गिरिशं भज रे गिरिशम्।
कृतयज्ञसु- मुख्यमतुल्यबलं
श्रितमर्त्य- जनामृतदानपरम्।
स्मरदाहक- मक्षरमुग्रमथो
भज रे गिरिशं भज रे गिरिशम्।
भुवि शङ्करमर्थदमात्मविदं
वृषवाहनमाश्रम- वासमुरम्।
प्रभवं प्रभुमक्षयकीर्तिकरं
भज रे गिरिशं भज रे गिरिशम्।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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