भगवद गीता - अध्याय 4
श्रीभगवानुवाच - इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् । ....
Click here to know more..गणनाथ स्तोत्र
प्रातः स्मरामि गणनाथमुखारविन्दं नेत्रत्रयं मदसुगन्धि�....
Click here to know more..जगत की रचना के समय ही उसकी अवधि और संहार काल, दोनों ही निश्चित हैं