असूया, अभिमान, शोक, काम, क्रोध, लोभ, मोह, असंतोष, निर्दयता, ईर्ष्या, निंदा और स्पृहा - ये बारह दोष हमेशा त्यागने योग्य हैं। जैसे शिकारी मृगों का शिकार करने के अवसर की तलाश में रहता है, इसी तरह, ये दोष भी मनुष्यों की कमजोरियाँ देखकर उन पर आक्रमण कर देते हैं।
रसातल में रहनेवाली सुरभि के दूध की धारा से क्षीरसागर उत्पन्न हुआ। क्षीरसागर के तट पर रहने वाले फेनप नामक मुनि जन इसके फेन को पीते रहते हैं।
अष्टविनायक प्रार्थना: शांति, समृद्धि और सफलता के लिए भगवान गणेश का आह्वान
अष्टविनायक प्रार्थना: भगवान गणेश के आठ रूपों का आह्वान क�....
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ॐ भार्गवाय विद्महे दानवार्चिताय धीमहि। तन्नः शुक्रः प्�....
Click here to know more..भगवद गीता - अध्याय 18
अथाष्टादशोऽध्यायः । मोक्षसंन्यासयोगः । अर्जुन उवाच - स�....
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