पूषा रेवत्यन्वेति पन्थाम्। पुष्टिपती पशुपा वाजवस्त्यौ। इमानि हव्या प्रयता जुषाणा। सुगैर्नो यानैरुपयातां यज्ञम्। क्षुद्रान्पशून्रक्षतु रेवती नः। गावो नो अश्वां अन्वेतु पूषा। अन्नं रक्षन्तौ बहुधा विरूपम्। वाजं सनुतां यजमानाय यज्ञम्। (तै.ब्रा.३.१.२)
जो सत्य के मार्ग पर चलता है वह महानता प्राप्त करता है। झूठ से विनाश होता है, परन्तु सच्चाई से महिमा होती है। -महाभारत
दुर्योधन द्रोणाचार्य को उक्साता है
पुनर्जन्म क्या है और क्यों होता है ?
सनातन धर्म के मौलिक सिद्धान्तों में से मुख्य है पुनर्जन्....
Click here to know more..अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलि
ॐ दक्षाध्वरविनाशिन्यै नमः। ॐ सर्वार्थदात्र्यै नमः। ॐ स�....
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