एक बार माता पार्वती गौ माता के और भोलेनाथ एक बूढे के रूप में भृगु महर्षि के आश्रम पहुंचे। गाय और बछडे को आश्रम में छोडकर महादेव निकल पडे। थोडी देर बाद भोलेनाथ खुद एक वाघ के रूप में आकर उन्हें डराने लगे। डर से गौ और बछडा कूद कूद कर दौडे तो उनके खुरों का निशान शिला के ऊपर पड गया जो आज भी ढुंढागिरि में दिखाई देता है। आश्रम में ब्रह्मा जी का दिया हुआ एक घंटा था जिसे बजाने पर भगवान परिवार के साथ प्रकट हो गए। इस दिन को गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाते हैं।
महर्षि दधीचि की स्मृति में ।
गौ सेवा से प्राप्त होता है दिव्य ज्ञान
गौ सेवा से प्राप्त होता है दिव्य ज्ञान....
Click here to know more..घोर पापी देवराज को मात्र शिव पुराण को सुनने से कैलास में वास मिलता है
गणेश मञ्जरी स्तोत्र
सद्गुरुगजास्यवाणीचरणयुगाम्भोरुहेषु मद्धृदयम् । सततं �....
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