श्रीकृष्ण के संग पाने के लिए श्री राधारानी की सेवा, वृन्दावन की सेवा और भगवान के भक्तों की सेवा अत्यन्त आवश्यक हैं। इनको किए बिना श्री राधामाधव को पाना केवल दुराशा मात्र है।
सूर्य देव के श्राप से निर्धन होकर शनि देव अपनी मां छाया देवी के साथ रहते थे। सूर्य देव उनसे मिलने आये। वह मकर संक्रांति का दिन था। शनि देव के पास तिल और गुड के सिवा और कुछ नहीं था। उन्होंने तिल और गुड समर्पित करके सूर्य देव को प्रसन्न किया। इसलिए हम भी प्रसाद के रूप में उस दिन तिल और गुड खाते हैं।
ज्वर गायत्री मंत्र
भस्मायुधाय विद्महे एकदंष्ट्राय धीमहि तन्नो ज्वरः प्रचो....
Click here to know more..कालिका पुराण
हिमालय के समीप में विराजमान मुनियों ने परमाधिक श्रेष्ठ म....
Click here to know more..भगवद गीता - अध्याय 18
अथाष्टादशोऽध्यायः । मोक्षसंन्यासयोगः । अर्जुन उवाच - स�....
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