महर्षि व्यास का असली नाम है कृष्ण द्वैपायन। इनका रंग भगवान कृष्ण के जैसा था और इनका जन्म यमुना के बीच एक द्वीप में हुआ था। इसलिए उनका नाम बना कृष्ण द्वैपायन। पराशर महर्षि इनके पिता थे और माता थी सत्यवती। वेद के अर्थ को पुराणों और महाभारत द्वारा विस्तृत करने से इनको व्यास कहते हैं। व्यास एक स्थान है। हर महायुग में एक नया व्यास होता है। वर्तमान महायुग के व्यास हैं कृष्ण द्वैपायन।
जिस स्थान पर श्री रामजी ने अहिल्या को श्राप से मुक्त किया, उसे अहिल्या स्थान के नाम से जाना जाता है। यह बिहार के दरभंगा जिले में अहियारी स्थित है।
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