भक्तिपूर्वक गाय की परिक्रमा करने से पृथ्वी की परिक्रमा करने के समान पुण्य प्राप्त होता है।
गृह्यसूत्र वेदों का एक हिस्सा है, जिसमें परिवार और घरेलू जीवन से संबंधित संस्कारों, अनुष्ठानों, और नियमों का विवरण होता है। यह वैदिक काल के सामाजिक और धार्मिक जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाता है। गृह्यसूत्रों में विभिन्न प्रकार के संस्कारों का वर्णन है, जैसे कि जन्म, नामकरण, अन्नप्राशन (पहली बार अन्न ग्रहण करना), उपनयन (यज्ञोपवीत संस्कार), विवाह, और अंत्येष्टि (अंतिम संस्कार) आदि। ये संस्कार जीवन के प्रत्येक महत्वपूर्ण चरण को चिह्नित करते हैं। प्रमुख गृह्यसूत्रों में आश्वलायन गृह्यसूत्र, पारस्कर गृह्यसूत्र, और आपस्तंब गृह्यसूत्र शामिल हैं। ये ग्रंथ विभिन्न ऋषियों द्वारा रचित हैं और विभिन्न वैदिक शाखाओं से संबंधित हैं।गृह्यसूत्रों का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकि ये न केवल व्यक्तिगत जीवन के संस्कारों का विवरण प्रदान करते हैं बल्कि समाज में धार्मिक और नैतिक मानकों की स्थापना भी करते हैं।
रक्षा और दिव्य समर्थन के लिए मंत्र
बृहस्पतिर्नः परि पातु पश्चादुतोत्तरस्मादधरादघायोः। इ....
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मैं आरती तेरी गाऊं ओ केशव कुंज बिहारी मैं आरती तेरी गाऊं �....
Click here to know more..भगवद गीता - अध्याय 8
अथ अष्टमोऽध्यायः । अक्षरब्रह्मयोगः । अर्जुन उवाच - किं त....
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