श्राद्धात् परतरं नान्यच्छ्रेयस्करमुदाहृतम् । तस्मात् सर्वप्रयत्नेन श्राद्धं कुर्याद् विचक्षणः ॥ (हेमाद्रिमें सुमन्तुका वचन) श्राद्धसे बढ़कर कल्याणकारी और कोई कर्म नहीं होता । अतः प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध करते रहना चाहिये।
पिता - कश्यप। माता - विश्वा (दक्ष की पुत्री)।
रेस्तरां व्यवसाय में सफलता का मंत्र
अन्नरूप रसरूप तुष्टिरूप नमो नमः । अन्नाधिपतये ममाऽन्नं �....
Click here to know more..घोर पापी देवराज को मात्र शिव पुराण को सुनने से कैलास में वास मिलता है
हनुमान स्तुति
अरुणारुण- लोचनमग्रभवं वरदं जनवल्लभ- मद्रिसमम्। हरिभक्त�....
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