सूर्य देव के श्राप से निर्धन होकर शनि देव अपनी मां छाया देवी के साथ रहते थे। सूर्य देव उनसे मिलने आये। वह मकर संक्रांति का दिन था। शनि देव के पास तिल और गुड के सिवा और कुछ नहीं था। उन्होंने तिल और गुड समर्पित करके सूर्य देव को प्रसन्न किया। इसलिए हम भी प्रसाद के रूप में उस दिन तिल और गुड खाते हैं।
गौ माता की पूजा सारे ३३ करोड देवताओं की पूजा के समान है। गौ पुजा करने से आयु, यश, स्वास्थ्य, धन-संपत्ति, घर, जमीन, प्रतिष्ठा, परलोक में सुख इत्यादियों की प्राप्ति होती है। गौ पूजा संतान प्राप्ति के लिए विशेष फलदायक है।
आचार्य विनोबा भावे कहते थे कि मैं मां का बेटा हूं
भविष्य पुराण
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