माया को एक सार्वभौमिक भ्रम के रूप में वर्णित किया गया है, जो शाश्वत सत्य के वास्तविक स्वरूप को छुपाता है। यह वह शक्ति है जो प्राणियों को जन्म, मृत्यु और दुख के चक्र से जोड़ती है, जिससे आसक्ति और झूठे अहंकार की भावना उत्पन्न होती है। माया केवल स्पष्ट छलावा नहीं है; यह एक सूक्ष्म भ्रम है, जो हमें नश्वर वस्तुओं से जुड़ने पर विवश करता है और शाश्वत सत्य से दूर रखता है। यह एक अलग अहंकार की भावना उत्पन्न करती है, जिससे भय, इच्छा और कष्ट जन्म लेते हैं। मोक्ष का अर्थ इस भ्रम को भेदकर अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानना है।
जन्म से बारहवां दिन या छः महीने के बाद रेवती नक्षत्र गंडांत शांति कर सकते हैं। संकल्प- ममाऽस्य शिशोः रेवत्यश्विनीसन्ध्यात्मकगंडांतजनन सूचितसर्वारिष्टनिरसनद्वारा श्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थं नक्षत्रगंडांतशान्तिं करिष्ये। कांस्य पात्र में दूध भरकर उसके ऊपर शंख और चन्द्र प्रतिमा स्थापित किया जाता है और विधिवत पुजा की जाती है। १००० बार ओंकार का जाप होता है। एक कलश में बृहस्पति की प्रतिमा में वागीश्वर का आवाहन और पूजन होता है। चार कलशों में जल भरकर उनमें क्रमेण कुंकुंम, चन्दन, कुष्ठ और गोरोचन मिलाकर वरुण का आवाहन और पूजन होता है। नवग्रहों का आवाहन करके ग्रहमख किया जाता है। पूजा हो जाने पर सहस्राक्षेण.. इस ऋचा से और अन्य मंत्रों से शिशु का अभिषेक करके दक्षिणा, दान इत्यादि किया जाता है।
आचार्य विनोबा भावे कहते थे कि मैं मां का बेटा हूं
डर पर विजय पाने के लिए शक्तिशाली दुर्गा मंत्र
ॐ क्लीं सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते । भयेभ्�....
Click here to know more..हनुमान चालीसा अर्थ सहित
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥१। आप �....
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