मगध का एक धनी व्यापारी था जो प्रायशः व्यापार के लिए विदेश यात्रा करता था। प्रत्येक यात्रा से पहले, वह अपने परिवार को इकट्ठा करता और पूछता था कि, 'आप चाहते हैं कि मैं आपके लिए क्या लाऊँ?' एक दिन, अपने सभी परिवार के सदस्यों से पूछने के बाद, वह अपने पालतू तोते की ओर मुड़ा और पूछा, 'मैं तुम्हारे लिए क्या लाऊँ?' तोते ने उत्तर दिया, 'क्या तुम्हें वह जंगल याद है जहाँ तुमने मुझे पाया था? उस जंगल में, एक विशाल पीपल का पेड़ है जहाँ मेरे जैसे कई तोते रहते हैं। वहाँ जाओ, उनसे कहो कि मैं तुम्हारे साथ हूँ, और पूछो कि क्या उनके पास मेरे लिए कोई संदेश है? बस इतना ही चाहिए।' व्यापारी जल्द ही अपनी यात्रा पर निकल पड़ा। छह महीने के सफल व्यापार के बाद, उसने वादे के अनुसार जंगल में जाने का निर्णय लिया। उसने उस विशाल पीपल के पेड़ को पाया और तोतों से बात की। उन्हें बताया कि उसके पालतू ने क्या कहा था। जैसे ही उसने यह बताया तो, पेड़ पर मौजूद तोतों में से एक तोता बेजान होकर ज़मीन पर गिर गया। जबकि बाकी बिना कुछ कहे उड़ गए। हैरान और निराश होकर, व्यापारी घर लौट आया और अपने तोते को बताया कि क्या हुआ था। कहानी सुनते ही पिंजरे में बंद तोते को अचानक दौरा पड़ गया और कुछ ही पलों में वह भी बेजान हो गया। व्यापारी चौंक गया और उसने जल्दी से पिंजरे का दरवाज़ा खोला। उसे आश्चर्य हुआ कि तोता तुरंत होश में आ गया, पिंजरे से बाहर उड़ गया और आकाश में गायब हो गया, जिससे व्यापारी अवाक और हतप्रभ रह गया।
तोते ने अपने साथी तोते के संदेश का इस्तेमाल करके आज़ादी हासिल की थी, जिससे व्यापारी को पता चला कि उसने कभी भी खुले आसमान के लिए अपनी हिम्मत या इच्छा नहीं खोई थी।
व्यक्तिगत रूप से अगर मैं भारत का निवासी होता तो मैं कोई भी विदेशी प्रथा को तभी अपनाता जब मैं संतुष्ट होता कि मुझे ऐसा करना चाहिए। निश्चित रूप से मैं भारतीय अभिवादन को अंग्रेजी हाथ मिलाने के लिए नहीं छोड़ता। मैं इसमें कोई उद्देश्य नहीं देखता सिवाय नकल करने के, और इस तरह विदेशी सभ्यता की श्रेष्ठता को स्वीकारने के। - जॉन वुड्रॉफ (लेखक)
राम नवमी चैत्र मास की शुक्ल पक्ष नवमी को मनायी जाती है। यह श्रीराम जी का जन्म दिन है। दुर्गा नवमी आश्विन मास की शुक्ल नवमी को मनायी जाती है। यह आसुरी शक्तियों के ऊपर देवी भगवती की जीत का त्योहार है।