ज्येष्ठत्वं जन्मना नैव गुणैर्ज्येष्ठत्वमुच्यते ।
गुणाद् गुरुत्वमायान्ति दुग्धं दधि घृतं क्रमात् ।।
जो पहले जनम लेता है वह ज्येष्ठ नहीं होता बल्कि जो मनुष्य गुणवान है वह ज्येष्ठ होता है। जिस प्रकार से दूध, दही और घी एक के बाद एक आनेवाले होकर भी अपने पहले के रूप से ज्यादा पुष्टिदायी होता है।
शिव जी का प्रिय मंत्र है - नमः शिवाय । इसे पंचाक्षर मंत्र कहते हैं । इस मंत्र को ॐ के साथ - ॐ नमः शिवाय के रूप में भी जपते हैं ।
ब्रह्मा-मरीचि-कश्यप-विवस्वान-वैवस्वत मनु-इक्ष्वाकु-विकुक्षि-शशाद-ककुत्सथ-अनेनस्-पृथुलाश्व-प्रसेनजित्-युवनाश्व-मान्धाता-पुरुकुत्स-त्रासदस्यु-अनरण्य-हर्यश्व-वसुमनस्-सुधन्वा-त्रय्यारुण-सत्यव्रत-हरिश्चन्द्र-रोहिताश्व-हारीत-चुञ्चु-सुदेव-भरुक-बाहुक-सगर-असमञ्जस्-अंशुमान-भगीरथ-श्रुत-सिन्धुद्वीप-अयुतायुस्-ऋतुपर्ण-सर्वकाम-सुदास्-मित्रसह-अश्मक-मूलक-दिलीप-रघु-अज-दशरथ-श्रीराम जी