दुर्जनेन समं सख्यं प्रीतिं चाऽपि न कारयेत् ।
उष्णो दहति चाङ्गारः शीतः कृष्णायते करम् ।।
दुष्ट लोगों से मित्रता या बन्धुता नहीं रखनी चाहिए । अंगार जब गरम होता है तो हाथ जला देता है और ठंडा होने के बाद हाथ काला कर देता है । वैसे ही दुर्जन भी जब आप पर गुस्सा होते हैं तो आप की निंदा करते हैं और जब वे आप पर गुस्सा नहीं होते तब भी आप के चरित्र को हानि पहुंचाते हैं ।
कामधेनु के श्राप की वजह से दिलीप को संतान नहीं हुई। महर्षि वसिष्ठ के उपदेश के अनुसार दिलीप ने कामधेनु की बेटी नन्दिनी की दिन रात सेवा की। एक बार एक शेर ने नन्दिनी को जगड लिया तो दिलीप ने अपने आप को नन्दिनी की जगह पर अर्पित किया। सेवा से खुश होकर नन्दिनी ने दिलीप को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया।
श्री शिवाय नमस्तुभ्यम् मंत्र जापने से शिव जी की कृपा, सद्बुद्धि का विकास, धन की प्राप्ति, अभीष्टों की सिद्धि, स्वास्थ्य, संतान इत्यादियों की प्राप्ति होती है।