दुर्जनेन समं सख्यं प्रीतिं चाऽपि न कारयेत् ।
उष्णो दहति चाङ्गारः शीतः कृष्णायते करम् ।।

 

दुष्ट लोगों से मित्रता या बन्धुता नहीं रखनी चाहिए । अंगार जब गरम होता है तो हाथ जला देता है और ठंडा होने के बाद हाथ काला कर देता है । वैसे ही दुर्जन भी जब आप पर गुस्सा होते हैं तो आप की निंदा करते हैं और जब वे आप पर गुस्सा नहीं होते तब भी आप के चरित्र को हानि पहुंचाते हैं ।

 

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हार्दिक आभार। -प्रमोद कुमार शर्मा

हम हिन्दूओं को एकजुट करने के लिए यह मंच बहुत ही अच्छी पहल है इससे हमें हमारे धर्म और संस्कृति से जुड़कर हमारा धर्म सशक्त होगा और धर्म सशक्त होगा तो देश आगे बढ़ेगा -भूमेशवर ठाकरे

वेदधारा ने मेरी सोच बदल दी है। 🙏 -दीपज्योति नागपाल

वेदधारा के माध्यम से हिंदू धर्म के भविष्य को संरक्षित करने के लिए आपका समर्पण वास्तव में सराहनीय है -अभिषेक सोलंकी

आपके वेदधारा ग्रुप से मुझे अपार ज्ञान प्राप्त होता है, मुझे गर्व कि मैं सनातनी हूं और सनातन धर्म में ईश्वर ने मुझे भेजा है । आपके द्वारा ग्रुप में पोस्ट किए गए मंत्र और वीडियों को में प्रतिदिन देखता हूं । -Dr Manoj Kumar Saini

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