श्राद्धात् परतरं नान्यच्छ्रेयस्करमुदाहृतम् । तस्मात् सर्वप्रयत्नेन श्राद्धं कुर्याद्विचक्षणः ॥ - (हेमाद्रि ) - श्राद्ध से बढ़कर कल्याणकारी और कोई कर्म नहीं होता । अतः प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध करते रहना चाहिये।
शिव पुराण में माथे, दोनों हाथों, छाती और नाभि पर भस्म लगाने की सलाह दी गई है।
नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम्
समस्याओं से मुक्ति के लिए शूलिनी दुर्गा मंत्र
दुं ज्वालामालिनि विद्महे महाशूलिनि धीमहि । तन्नो दुर्ग�....
Click here to know more..श्रीरङ्गराज स्तोत्र
पद्माधिराजे गरुडाधिराजे विरिञ्चराजे सुरराजराजे । त्रै�....
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