नैमिषारण्य की ८४ कोसीय परिक्रमा है । यह फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को शुरू होकर अगले पन्द्रह दिनों तक चलती है ।
श्राद्ध से केवल अपने पितरों की ही संतृप्ति नहीं होती, अपितु जो व्यक्ति विधिपूर्वक अपने धनके अनुरूप श्राद्ध करता है, वह ब्रह्मा से लेकर घास तक समस्त प्राणियों को संतृप्त कर देता है। - ब्रह्मपुराण
राजा मोरध्वज की बाईं आंख से ही क्यों आंसू आए, इसका रहस्य
उन दिनों मनुष्य की महानता उसके पास जो कुछ था उससे नहीं, बल�....
Click here to know more..उनाकोटी - ९९,९९,९९९ देवी-देवता एक ही स्थान पर
जानिए त्रिपुरा में उनाकोटी के बारे में जहां ९९,९९,९९९ देव�....
Click here to know more..नृत्य विजय नटराज स्तोत्र
नमोऽस्तु नटराजाय सर्वसिद्धिप्रदायिने । सदाशिवाय शान्त....
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