३३ वैदिक देवता हैं। इन्हें इस प्रकार विभाजित किया गया है।

८ वसु  

८ वसु वैदिक देवताओं का एक समूह है जो प्राकृतिक तत्वों से जुड़े हैं। उनके नाम और सम्बंध इस प्रकार हैं -

  1. ध्रुव - ध्रुव तारा (उत्तर तारा) से सम्बंधित, जो स्थिरता का प्रतीक है।  
  2. धर - पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करते हैं।  
  3. सोम - चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करते हैं, अमृत और अमरत्व से जुड़ी।  
  4. आप - ब्रह्मांडीय जल से सम्बंधित।  
  5. अनिल - वायु का प्रतिनिधित्व करते हैं।  
  6. अनल - अग्नि का प्रतिनिधित्व करते हैं।  
  7. प्रत्यूष - प्रातःकाल का प्रतिनिधित्व करते हैं।  
  8. प्रभास - प्रकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं।  

ये देवता प्राकृतिक जगत और ब्रह्मांडीय व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक हैं।

११ रुद्र

११ रुद्र वे देवता हैं जो तूफान, वायु, और विनाश एवं पुनर्निर्माण से सम्बंधित हैं। इन्हें रुद्र के विभिन्न रूपों और पहलुओं से जोड़ा जाता है, जो बाद में शिव के नाम से जाने गए। ११ रुद्र के नाम इस प्रकार हैं -

  1. अज-एकपाद - एक पांव वाले देवता, जिन्हें तूफान से जोड़ा जाता है।  
  2. अहिर्बुध्न्य - गहरे समुद्र या महासागर के सर्प का प्रतिनिधित्व करते हैं।  
  3. विरूपाक्ष - विकृत आंखों वाले या सर्वदर्शी का प्रतिनिधित्व करते हैं।  
  4. रैवत - समृद्धि और संपत्ति से सम्बंधित हैं।  
  5. हर - बुराई के विनाश का प्रतिनिधित्व करते हैं।  
  6. बहुरूप - अनेक रूपों वाले का प्रतिनिधित्व करते हैं।  
  7. त्र्यम्बक - तीन आंखों वाले, शिव का एक नाम है।  
  8. सवित्र - सूर्य और जीवनदायी शक्ति से सम्बंधित है।  
  9. जयंत - विजय का प्रतीक है।  
  10. पिनाकी - धनुषधारी का प्रतिनिधित्व करते हैं, शिव का एक और नाम।  
  11. कपाली - खोपड़ी धारण करने वाले, शिव के एक और रूप से सम्बंधित।  

ये रुद्र जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक हैं, जिनमें भौतिक तत्व, इंद्रियां, भावनाएं और ब्रह्मांडीय शक्तियाँ शामिल हैं। ये वैदिक परंपरा में रुद्र/शिव की विनाशकारी और पुनरुत्पादक शक्तियों को दर्शाते हैं।

१२  आदित्य

१२ आदित्य वैदिक देवता हैं जो सूर्य देवता और ब्रह्मांडीय व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं से सम्बंधित हैं। वे सूर्य के १२ महीनों का प्रतिनिधित्व करते हैं और आदिति के पुत्र माने जाते हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं:

ये आदित्य ब्रह्मांडीय कानून, व्यवस्था, और सूर्य के जीवनदायी गुणों के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक हैं। वे ब्रह्मांड के संतुलन और सामंजस्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

२ अश्विन  

२ अश्विन, जिन्हें अश्विनी कुमार भी कहा जाता है, वैदिक परंपरा में जुड़वां देवता हैं। वे स्वास्थ्य, चिकित्सा, और उपचार से सम्बंधित हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं:

  1. नासत्य - सत्य और धर्म का प्रतिनिधित्व करते हैं।  
  2. दस्र - उपचार और चमत्कारों का प्रतिनिधित्व करते हैं।  

अश्विन देवताओं के दिव्य चिकित्सक माने जाते हैं। वे अक्सर युवा घुड़सवारों या सारथियों के रूप में चित्रित होते हैं और प्रातःकाल से जुड़े होते हैं। अश्विनों को प्रकाश, स्वास्थ्य, और कल्याण लाने वाले माना जाता है, और वे उपचार और बचाव से संबंधित विभिन्न परिस्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

क्यों कहा जाता है कि ३३ करोड़ देवता हैं?  

'३३  करोड़ देवता' की अवधारणा एक सामान्य भ्रम है। यह भ्रम 'कोटि' शब्द से आता है। संस्कृत में, 'कोटि' का अर्थ दो प्रकार से है - १. 'करोड़' और  २.  'प्रकार' या 'श्रेणी'।।

मूल रूप से, '३३  कोटि' का अर्थ ३३ प्रकार या श्रेणियों के वैदिक देवता था, न कि ३३ करोड़ देवताओं की संख्या। ये श्रेणियां हैं - ८  वसु, ११  रुद्र, १२  आदित्य, और २ अश्विन।

समय के साथ, लोगों ने 'कोटि' शब्द का अर्थ 'करोड़' समझ लिया, जिसके कारण यह भ्रम हुआ कि ३३ करोड़ देवता हैं। 

लेकिन...  

कुछ लोग मानते हैं कि ३३ करोड़ देवताओं की अवधारणा ईश्वरीय शक्ति की व्यापकता और विविधता का प्रतीक है। यह दृष्टिकोण दर्शाता है कि दिव्यता अनगिनत रूपों और अभिव्यक्तियों में उपस्थित हो सकती है।

यह दृष्टिकोण इस विश्वास को उजागर करता है कि ब्रह्मांड की हर वस्तु, जीव, और तत्व में दिव्य पहलू है। यह भगवान को हर चीज में देखने की धारणा के अनुरूप है, जो अनंत देवताओं की संख्या का संकेत देती है, किसी विशिष्ट गणना तक सीमित नहीं है। हालाँकि, यह व्याख्या अधिक दार्शनिक और प्रतीकात्मक है, न कि देवताओं की वास्तविक संख्या।

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