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बहुत सराहनीय कार्य. धन्यवाद -अरविंद

ॐ नमः शिवाय ॐ -User_slc8e6

बहुत प्रेरणादायक 👏 -कन्हैया लाल कुमावत

वेदधारा सनातन संस्कृति और सभ्यता की पहचान है जिससे अपनी संस्कृति समझने में मदद मिल रही है सनातन धर्म आगे बढ़ रहा है आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏 -राकेश नारायण

आपकी सेवा से सनातन धर्म का भविष्य उज्ज्वल है 🌟 -mayank pandey

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मनोबुद्ध्यहङ्कारचित्तानि नाहं न च श्रोत्रजिह्वे न च घ्राणनेत्रे ।
न च व्योमभूमिर्न तेजो न वायुश्चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ १॥

न च प्राणसंज्ञो न वै पञ्चवायुर्न वा सप्तधातुर्न वा पञ्चकोशः ।
न वाक्पाणिपादौ न चोपस्थ पायू चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ २॥

न मे द्वेषरागौ न मे लोभमोहौ मदो नैव मे नैव मात्सर्यभावः । (न मे वै मदो)
न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्षश्चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ ३॥

न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखं न मन्त्रो न तीर्थं न वेदा न यज्ञाः ।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ ४॥

न मृत्युर्न शङ्का न मे जातिभेदः पिता नैव मे नैव माता न जन्म । ( var  न मे मृत्यु शङ्का)
न बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्यश्चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ ५॥

अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो विभुर्व्याप्य सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम् । ( var  विभुत्वाच्च)
सदा मे समत्वं न मुक्तिर्न बन्धश्चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ ६॥

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गौ माता की उत्पत्ति कैसे हुई?

गौ माता सुरभि को गोलोक में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने शरीर के बाएं हिस्से से उत्पन्न किया। सुरभि के रोम रोम से बछड़ों के साथ करोड़ों में गायें उत्पन्न हुई।

शिवलिंग की कहानी क्या है?

ब्रह्मा जी और विष्णु जी बहस कर रहे थे कि उनके बीच कौन ज्यादा श्रेष्ठ हैं। उस समय शिव जी उनके सामने एक अनादि और अनन्त अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए जिसका न विष्णु जी न आधार ढूंढ पाये न ब्रह्मा जी शिखर ढूंढ पाए। इस अग्नि स्तंभ का प्रतीक है शिवलिंग।

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मृत्यु के तीसरे दिन क्या होता है?

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