कदम्ब, सारहीन फूल या कठूमर, केवड़ा, शिरीष, तिन्तिणी, बकुल (मौलसिरी), कोष्ठ, कैथ, गाजर, बहेड़ा, कपास, गंभारी, पत्रकंटक, सेमल, अनार, धव, बसंत ऋतुमें खिलनेवाला कंद-विशेष, कुंद, जूही, मदन्ती, सर्ज और दोपहरियाके फूल भगवान् शंकरपर नहीं चढ़ाने चाहिये। वीरमित्रोदयमें इनका संकलन किया गया है११ ।
संस्कृत में गण का अर्थ है समूह और ईश का अर्थ है प्रभु। गणेश का अर्थ है समूहों के स्वामी। वैदिक दर्शन में सब कुछ समूहों में विद्यमान है। उदाहरण के लिए: ११ रुद्र, १२ आदित्य, ७ समुद्र, ५ संवेदी अंग, ४ वेद, १४ लोक आदि। गणेश ऐसे सभी समूहों के स्वामी हैं जिसका अर्थ है कि वह हर वस्तु और प्राणी के स्वामी हैं।
भागवत के तीन प्रकार के वक्ता हैं
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