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वेदधारा चैनल पर जितना ज्ञान का भण्डार है उतना गुगल पर सर्च करने पर सटीक जानकारी प्राप्त नहीं हो सकती है। बहुत ही सराहनीय कदम है -प्रमोद कुमार

वेदधारा का कार्य अत्यंत प्रशंसनीय है 🙏 -आकृति जैन

आपकी वेबसाइट बहुत ही अद्भुत और जानकारीपूर्ण है। -आदित्य सिंह

आनंद की अनुभूति होती है -User_snlyh5

आपके मंत्र बहुत प्रेरणादायक हैं। 🙏 -विपुल सिंह

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ऐं क्लीं ह्सौः बालात्रिपुरे सिद्धिं देहि नमः।

हे बालात्रिपुरसुंदरी, मैं आपको नमन करता हूँ। बीजाक्षर 'ऐं', 'क्लीं', और 'ह्सौः' के साथ, कृपया मुझे सभी प्रयासों में सफलता प्रदान करें। यह मंत्र बालात्रिपुरसुंदरी, जो देवी त्रिपुरसुंदरी का एक युवा रूप (कन्या) हैं, की शक्तिशाली आह्वान है। 'ऐं', 'क्लीं', और 'ह्सौः' जैसे बीजाक्षरों का उपयोग देवी की दिव्य शक्तियों को जागृत करने का संकेत है। भक्ति के साथ इस मंत्र को सुनने से सफलता, आध्यात्मिक प्रगति, और बाधाओं से सुरक्षा प्राप्त होती है। सुनने के लाभ: इस मंत्र को नियमित रूप से सुनने से सभी प्रयासों में सफलता मिलती है, आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि होती है, और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा मिलती है। देवी को आंतरिक शांति और भौतिक समृद्धि प्राप्त करने के लिए भी आह्वान किया जाता है।

 

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वैष्णो देवी का जन्म कैसे हुआ?

त्रेतायुग में एक बार महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती ने अपनी शक्तियों को एक स्थान पर लाया और उससे एक दिव्य दीप्ति उत्पन्न हुई। उस दीप्ति को धर्म की रक्षा करने के लिए दक्षिण भारत में रत्नाकर के घर जन्म लेने कहा गया। यही है वैष्णो देवी जो बाद में तपस्या करने त्रिकूट पर्वत चली गयी और वहां से भक्तों की रक्षा करती है।

भगवान के बारे में ज्ञान

श्रीमद्भागवतम (2.9.31) में इस प्रकार वर्णित है: श्रीभगवानुवाच - ज्ञानं परमं गुह्यं मे यद्विज्ञानसमन्वितम् | स-रहस्यं तदङ्गं च गृहाण गदितं मया | इस श्लोक के अनुसार भगवान का ज्ञान कई महत्वपूर्ण पहलुओं को समेटे हुए है। इसे 'परम-गुह्य' कहा गया है, जिसका अर्थ है कि यह उच्चतम गोपनीयता वाला है और इसे समझने के लिए आध्यात्मिक परिपक्वता की आवश्यकता होती है। 'विज्ञान' शब्द का प्रयोग दर्शाता है कि यह ज्ञान केवल अमूर्त नहीं है बल्कि इसका एक व्यावहारिक और वैज्ञानिक आधार है, जो वास्तविकता और परमात्मा की प्रकृति की गहरी समझ प्रदान करता है। 'स-रहस्यं' यह इंगित करता है कि इस ज्ञान में रहस्यमय तत्व भी शामिल हैं, जो साधारण समझ से परे होते हैं। 'तदङ्गं' इसका अर्थ है कि यह ज्ञान व्यापक है और आध्यात्मिक विज्ञान के विभिन्न पहलुओं को कवर करता है। 'गृहाण गदितं मया' यह दर्शाता है कि यह ज्ञान स्वयं भगवान द्वारा प्रकट किया गया है, जो इसकी प्रामाणिकता और दिव्य मूल को रेखांकित करता है।

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भैरव का वाहन क्या है ?

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