राजा पृथु ने पृथ्वी पर अच्छे से शासन किया। उनके धर्मनिष्ठ शासन के कारण पृथ्वी समृद्ध हुई। गायों ने भरपूर दूध दिया। प्रसन्न ऋषियों ने एक महान यज्ञ किया। यज्ञ के अंत में, सूत और मगध नाम के दो समूह प्रकट हुए। ऋषियों ने उन्हें पृथु की प्रशंसा गाने का आदेश दिया। लेकिन उन्होंने कहा, 'पृथु बहुत युवा हैं। उन्होंने अभी-अभी शासन शुरू किया है। उन्होंने अभी तक कोई महान कार्य नहीं किया है। हम उनकी कैसे प्रशंसा करें?'
ऋषियों ने उन्हें भविष्य देखने की शक्ति दी। तुरंत ही सूतों और मगधों ने पृथु की भविष्य की महिमा गाई। ये गीत चारों दिशाओं में फैल गए। इस बीच, कुछ लोग दूर देश से पृथु के पास आए। उन्होंने कहा, 'हे राजन ! आपकी कीर्ति हर जगह फैल रही है। लेकिन हम पीड़ित हैं। पृथ्वी पर कुछ भी उग नहीं रहा है। गायें दूध नहीं दे रही हैं। हमें क्या करना चाहिए?'
यह सुनकर पृथु बहुत क्रोधित हो गए। उन्होंने अपना धनुष उठाया और पृथ्वी को चीरने निकल पड़े। पृथ्वी भयभीत होकर गाय का रूप धारण कर भाग गई। वह हर जगह घूमी लेकिन कहीं छिपने की जगह नहीं मिली। अंततः वह पृथु के सामने खड़ी हो गई और विनती की, 'हे राजन ! मुझे, एक स्त्री को मारने से आपको कोई लाभ नहीं होगा। केवल पाप ही मिलेगा। इसके बजाय, पृथ्वी को समतल बनाइए। पहाड़ों को हटाइए। समतल भूमि पर खेती करने से आपको आवश्यक समृद्धि प्राप्त होगी '
पृथु ने यह बात सुनी। उन्होंने पहाड़ों को हटाया और भूमि को समतल बनाया। खेती फली-फूली। पृथ्वी समृद्ध हुई। पृथ्वी का नाम 'पृथ्वी' राजा पृथु से आया, जिन्होंने भूमि को जीवों के लिए उपयुक्त बनाया।
Bhakti Ratnavali was written by Vishnu Puri of Mithila under instruction from Chaitanya Mahaprabhu. It is a collection of all verses pertaining to bhakti from Srimad Bhagavata.
ॐ आद भैरव, जुगाद भैरव। भैरव है सब थाई भैरों ब्रह्मा । भैरों विष्ण, भैरों ही भोला साईं । भैरों देवी, भैरों सब देवता । भैरों सिद्धि भैरों नाथ भैरों गुरु । भैरों पीर, भैरों ज्ञान, भैरों ध्यान, भैरों योग-वैराग भैरों बिन होय, ना रक्षा, भैरों बिन बजे ना नाद। काल भैरव, विकराल भैरव । घोर भैरों, अघोर भैरों, भैरों की महिमा अपरम्पार श्वेत वस्त्र, श्वेत जटाधारी । हत्थ में मुगदर श्वान की सवारी। सार की जंजीर, लोहे का कड़ा। जहाँ सिमरुँ, भैरों बाबा हाजिर खड़ा । चले मन्त्र, फुरे वाचा देखाँ, आद भैरो ! तेरे इल्मी चोट का तमाशा ।
परिवार में बहू के स्थान के बारे में वेद मे उल्लेख क्या है
गणेश जी के २६ मंत्र
महागणपति मंत्र - लोगों को अनुकूल करने के लिए - ॐ श्रीँ ह्री�....
Click here to know more..दुर्गा पंचक स्तोत्र
कर्पूरेण वरेण पावकशिखा शाखायते तेजसा वासस्तेन सुकम्पते....
Click here to know more..