यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहवः स तु जीवति |
काकोऽपि किं न कुरुते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् ||
जिस के जीने से बहुत से और लोग जीते हों वह ही सच में जीता हुआ कहलाता है | नहीं तो कौआ भी अपनी चोंच से खुद का पेट भर सकता है | इसलिए मनुष्य को हमेशा दूसरों का भी पेट भरने की जिम्मेदारी लेना चाहिए |
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से भय और खतरों से सुरक्षा मिलती है। इससे प्रतिद्वंद्वियों के साथ लड़ाई में सफलता प्राप्त होती है।
फट् दुःस्वप्नदोषान् जहि जहि फट् स्वाहा - यह मंत्र बोलकर सोने से बुरे सपने नहीं आएंगे।
मंत्र जप में गिनती - १०८ का महत्व
मंत्र जप में गिनती - १०८ का महत्व....
Click here to know more..परमात्मा एक तेज पुंज बनकर देवताओं के सामने प्रकट होते हैं
एक श्लोकी शंकर दिग्विजय स्तोत्र
आर्याम्बाजठरे जनिर्द्विजसतीदारिद्र्यनिर्मूलनं सन्या�....
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