यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहवः स तु जीवति |
काकोऽपि किं न कुरुते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् ||

 

जिस के जीने से बहुत से और लोग जीते हों वह ही सच में जीता हुआ कहलाता है | नहीं तो कौआ भी अपनी चोंच से खुद का पेट भर सकता है | इसलिए मनुष्य को हमेशा दूसरों का भी पेट भरने की जिम्मेदारी लेना चाहिए |

 

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