मातर्भञ्जय मे विपक्षवदनं जिह्वाञ्चलं कीलय ।
ब्राह्मीं मुद्रय मुद्रयाशु धिषमङ्घ्र्योर्गतिं स्तम्भय ।
हे माँ, शत्रुओं के मुखों को नष्ट करें और उनकी जीभ को निष्क्रिय करें। उनकी वाणी को शीघ्र स्थिर करें और उनकी गति को बाधित करें।
मातः (माँ), भञ्जय (नष्ट करें), मे (मेरा), विपक्षवदनं (शत्रुओं के मुख), जिह्वाञ्चलं (जीभ), कीलय (निष्क्रिय करें)। ब्राह्मीं (वाणी), मुद्रय (स्थिर करें), मुद्रय (स्थिर करें), आशु (शीघ्र), धिषमङ्घ्र्योर्गतिं (उनकी गति), स्तम्भय (बाधित करें)।
शत्रूंश्चूर्णयाशु गदया गौराङ्गि पीताम्बरे ।
विघ्नौघं बगले हर प्रणमतां कारुण्यपूर्णेक्षणे ।
हे गौरांगि, पीले वस्त्रों में सजी हुई, अपनी गदा से शत्रुओं को शीघ्र चूर्ण करें। हे बगलामुखी, करुणापूर्ण दृष्टि से प्रणाम करने वालों की बाधाओं को दूर करें।
शत्रूं (शत्रु), चूर्णय (चूर्ण करें), आशु (शीघ्र), गदया (गदा से), गौराङ्गि (गौरांगि), पीताम्बरे (पीले वस्त्रों में)। विघ्नौघं (बाधाएँ), बगले (बगलामुखी), हर (दूर करें), प्रणमतां (प्रणाम करने वालों की), कारुण्यपूर्णेक्षणे (करुणापूर्ण दृष्टि से)।
यह मंत्र देवी को शक्तिशाली प्रार्थना है, उनसे शत्रुओं को नष्ट और निष्क्रिय करने, और शीघ्रता से बाधाओं को दूर करने की विनती करता है।
सुनने के लाभ
इस मंत्र को सुनने से देवी बगलामुखी की सुरक्षा प्राप्त होती है, विरोधियों को निष्क्रिय करती है, और बाधाओं को दूर करती है, जिससे भक्तों को शांति और सफलता प्राप्त होती है।
गणेश जी की पूजा करते समय बोलने के लिए सरल और प्रभावशाली मंत्र है - ॐ गँ गणपतये नमः ।
कदम्ब, सारहीन फूल या कठूमर, केवड़ा, शिरीष, तिन्तिणी, बकुल (मौलसिरी), कोष्ठ, कैथ, गाजर, बहेड़ा, कपास, गंभारी, पत्रकंटक, सेमल, अनार, धव, बसंत ऋतुमें खिलनेवाला कंद-विशेष, कुंद, जूही, मदन्ती, सर्ज और दोपहरियाके फूल भगवान् शंकरपर नहीं चढ़ाने चाहिये। वीरमित्रोदयमें इनका संकलन किया गया है११ ।
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