अणुभ्यश्च महद्भ्यश्च शास्त्रेभ्यः कुशलो नरः |
सर्वतः सारमादद्यात् पुष्पेभ्य इव षट्पदः ||

 

जिस प्रकार भ्रमर हर तरह के फूलों से मधु का ग्रहण कर लेता है वैसे ही बुद्धिमान व्यक्तियों को हर छोटे छोटे और हर बडे बडे शास्त्रों से उसका सार ग्रहण कर लेना चाहिए |

 

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वेद पाठशालाओं और गौशालाओं का समर्थन करके आप जो प्रभाव डाल रहे हैं उसे देखकर खुशी हुई -समरजीत शिंदे

जो लोग पूजा कर रहे हैं, वे सच में पवित्र परंपराओं के प्रति समर्पित हैं। 🌿🙏 -अखिलेश शर्मा

आपकी वेबसाइट अद्वितीय और शिक्षाप्रद है। -प्रिया पटेल

यह वेबसाइट बहुत ही रोचक और जानकारी से भरपूर है।🙏🙏 -समीर यादव

आपके वेदधारा ग्रुप से मुझे अपार ज्ञान प्राप्त होता है, मुझे गर्व कि मैं सनातनी हूं और सनातन धर्म में ईश्वर ने मुझे भेजा है । आपके द्वारा ग्रुप में पोस्ट किए गए मंत्र और वीडियों को में प्रतिदिन देखता हूं । -Dr Manoj Kumar Saini

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पति के किस तरफ होना चाहिए पत्नी?

सारे धार्निक शुभ कार्यों में पत्नी पति के दक्षिण भाग में रहें, इन्हें छोडकर- १. अभिषेक या अपने ऊपर कलश का तीर्थ छिडकते समय। २. ब्राह्मणॊं के पैर धोते समय। ३. ब्राह्मणों से आशीर्वाद स्वीकार करते समय। ४. सिन्दूर देते समय। ५ शांति कर्मों में। ६. मूर्ति प्रतिष्ठापन में। ७. व्रत के उद्यापन में। ८. विवाह होकर माता-पिता के घर से निकलते समय। ९. विवाह होकर पहली बार माता-पिता के घर वापस आते समय। १०. भोजन करते समय। ११. सोते समय।

यक्षों के माता-पिता

पिता - कश्यप। माता - विश्वा (दक्ष की पुत्री)।

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पुष्टिमार्ग में किसकी पूजा होती है ?

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