ॐ लक्षलाभयुताय सिद्धिबुद्धिसहिताय गणपतये नमः ।
नमो गोभ्यः श्रीमतीभ्यः सौरभेयीभ्य एव च । नमो ब्रह्मसुताभ्यश्च पवित्राभ्यो नमो नमः || - श्रीमती गौओंको नमस्कार ! कामधेनुकी संतानों को नमस्कार । ब्रह्माजी की पुत्रियों को नमस्कार ! पावन करनेवाली गौओं को बार-बार नमस्कार ।
भीष्म जी अपने पूर्व जन्म में द्यौ थे जो अष्ट वसुओं में से एक हैं। वे सभी ऋषि वशिष्ठ के श्राप के कारण धरती पर जन्म लिए थे। उनकी मां, गंगा ने उन्हें श्राप से राहत देने के लिए जन्म के तुरंत बाद उनमें से सात को डुबो दिया। सिर्फ भीष्म जी जीवित रहे।
तीर्थ स्थानों में कभी पाप न करें
वाद-विवाद में सफलता के लिए मंत्र
ऐं ओष्ठापिधाना नकुली क्लीं दन्तैः परिवृता पविः। सौः सर्�....
Click here to know more..अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलि
ॐ दक्षाध्वरविनाशिन्यै नमः। ॐ सर्वार्थदात्र्यै नमः। ॐ स�....
Click here to know more..