योजनानां सहस्रं तु शनैर्गच्छेत् पिपीलिका l
अगच्छन् वैनतेयोऽपि पदमेकं न गच्छति ll
धीरे धीरे चलते चलते चींटी हजारों योजनाओं को पार कर सकती है | पर गरुड भी हो तो न चलते हुए एक कदम भी आगे नहीं बढ पाएंगे | इसलिए चाहे विलम्ब हो जाए, पर चलते और आगे बढते रहना चाहिए |
१. सीकर- राजस्थान २. अमरावती- महाराष्ट्र ३. वेलसा-सत्तारी- गोवा ४. सिरसा- हरियाणा ५. बोड़ला- उत्तरप्रदेश ६. रेगरपुरा-करोलबाग- नई दिल्ली ७. केसरबाग रोड- इंदोर। ये सारे सप्त गौ माता मंदिर हैं। यहां सात गर्भवती गायों की एक साथ पूजा होती है। इन मंदिरों में अधिकतर गर्भवती महिलाएं आती हैं जो अच्छी संतान के लिए प्रार्थना करती हैं।
ब्रह्मा ने यहाँ एक यज्ञ किया था। उस समय राजा कुरु ने सोने के हल से भूमि तैयार की, जिसे महादेव के बैल और यम के भैंसे द्वारा खींचा गया था। जब यज्ञ चल रहा था, राजा ने स्थल के चारों दिशाओं में प्रतिदिन 7 कोस (लगभग 21 किमी) की दर से क्षेत्र का विस्तार किया। यज्ञ की समाप्ति पर, भगवान विष्णु ने इस नव-सृजित भूमि को आशीर्वाद देते हुए इसे धर्मक्षेत्र नाम दिया। यहाँ किया गया कोई भी धार्मिक कार्य अनंत पुण्य (आध्यात्मिक लाभ) प्रदान करता है।