सन्त्यन्येऽपि बृहस्पतिप्रभृतयः सम्भिविताः पञ्चषा-
स्तान् प्रत्येष विशेषविक्रमरुची राहुर्न वैरायते |
द्वावेव ग्रसते दिवाकरनिशाप्राणेश्वरौ भास्वरौ
भ्रातः पर्वणि पश्य दानवपतिः शीर्षावशेषाकृतिः ||
आकाश में गुरु, मंगल आदि पांच छह और भी ग्रह हैं | फिर भी राहु उनसे कोई दुश्मनी रखते हुए ग्रहण के समय उनको नहीं ढकता | सिर्फ दो प्रकाशमान ग्रह चंद्र और सूर्य का ही ग्रहण होता है | जो प्रसिद्ध या विक्रमी पुरुष होते हैं उन पर ही दुर्जन आक्रमण करते हैं |
श्री शिवाय नमस्तुभ्यम् मंत्र जापने से शिव जी की कृपा, सद्बुद्धि का विकास, धन की प्राप्ति, अभीष्टों की सिद्धि, स्वास्थ्य, संतान इत्यादियों की प्राप्ति होती है।
सूर्य का गुरु देवगुरु बृहस्पति हैं।
गौमाता से हथियार दूर रहें
गौओं की सुरक्षा मांगनेवाला अथर्व वेद मंत्र....
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ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाह�....
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तमानम्रलोकेष्टदानप्रचण्डं नमस्कुर्महे शैलवासं नृसिंह....
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