छायामन्यस्य कुर्वन्ति स्वयं तिष्ठन्ति चातपे |
फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरुषा इव ||
वृक्ष खुद धूप में स्थित होकर दूसरों को छाव देते हैं | अपने फल से दूसरों का भूख भी मिटाते हैं | वृक्ष सज्जन के जैसे होते हैं जो खुद कष्ट सहकर दूसरों का भला करते हैं |
क्षीरसागर वह समुद्र है जो दिव्य गाय सुरभि से निकले दूध से बना है।
माहवारी के दौरान केवल उपवास रख सकते हैं। व्रत के पूजन, दान इत्यादि अंग किसी और से करायें।