छायामन्यस्य कुर्वन्ति स्वयं तिष्ठन्ति चातपे |
फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरुषा इव ||

 

वृक्ष खुद धूप में स्थित होकर दूसरों को छाव देते हैं | अपने फल से दूसरों का भूख भी मिटाते हैं | वृक्ष सज्जन के जैसे होते हैं जो खुद कष्ट सहकर दूसरों का भला करते हैं |

 

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वेदधारा का प्रभाव परिवर्तनकारी रहा है। मेरे जीवन में सकारात्मकता के लिए दिल से धन्यवाद। 🙏🏻 -Anjana Vardhan

वेदधारा का कार्य सराहनीय है, धन्यवाद 🙏 -दिव्यांशी शर्मा

वेदधारा के कार्य से हमारी संस्कृति सुरक्षित है -मृणाल सेठ

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