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हंसराज के संगीत मे ऐसा जादू है की भारत के अनेक युवावोको महादेव की भक्ती करने को प्रेरित किया..... -Paras Ahirwar

हे भोलेनाथ जब भी आपके बारे में आंख बंद करके सोचता हूँ तो मेरे आंखों में आंशु और चेहरे पर मुस्कान आ जाती है 😌 -rajesh yadav

हर हर महादेव -Sarveshwar

यह वेबसाइट बहुत ही शिक्षाप्रद और विशेष है। -विक्रांत वर्मा

आपको नमस्कार 🙏 -राजेंद्र मोदी

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पार्वती बोली शंकर से
पार्वती बोली शंकर से
पार्वती बोली शंकर से
सुनिये भोलेनाथ जी
रहना है हर इक जन्म में
मुझे तुम्हारे साथ जी
वचन दिजिये ना छोड़ेंगे
कभी हमारा हाथ जी
ओ भोलेनाथ जी
ओ शम्भू नाथ जी
ओ भोलेनाथ जी
ओ शंकरनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी
ओ शम्भू नाथ जी
ओ भोलेनाथ जी
ओ शंकरनाथ जी
जैसे मस्तक पे चंदा है
गंगा बसी जटाओं में
वैसे रखना हे अभिनाशी
मुझे प्रेम की छाँव में
जैसे मस्तक पे चंदा है
गंगा बसी जटाओं में
वैसे रखना हे अभिनाशी
मुझे प्रेम की छाँव में
कोई नहीं तुमसा तीनों
लोको में दसों दिशाओ में
महलों से ज्यादा सुख है
कैलाश की खुली हवाओ में
तुम हो जहाँ वहाँ होती है
तुम हो जहाँ वहाँ होती है
अमृत ​​की बरसात जी
रहना है हर इक जन्म में
मुझे तुम्हारे साथ जी
वचन दिजिये ना छोड़ेंगे
कभी हमारा हाथ जी
ओ भोलेनाथ जी
ओ शम्भू नाथ जी
ओ भोलेनाथ जी
ओ शंकरनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी
ओ शम्भू नाथ जी
ओ भोलेनाथ जी
ओ शंकरनाथ जी
देव हो तुम देवों के भोले
अमर हो अंतरयामी हो
भाग्यवान है हम त्रिपुरारी
आप हमारे स्वामी हो
देव हो तुम देवों के भोले
अमर हो अंतरयामी हो
भाग्यवान है हम त्रिपुरारी
आप हमारे स्वामी हो
पुष्प विमानो से प्यारी
हमको नंदी की सवारी जी
युगो युगो से पार्वती
भोले तुमपे बलिहारी जी
जब लाओ तुम ही लाना
जब लाओ तुम ही लाना
द्वारे मेरे बारात जी
ओ भोलेनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी
ओ शम्भू नाथ जी
ओ भोलेनाथ जी
ओ शम्भू नाथ जी
प्राण मेरे बस्तें हैं तुममें
तुम बिन मेरी नहीं गति
अग्नि कुण्ड में होके भस्म
तुम हुई थी मेरे लिए सती
शिव बिन जैसे शक्ति अधूरी
शक्ति बिन शिव आधें है
जन्मों तक ना टूटेंगे ये
जनम जनम के नातें हैं
तुम ही मेरी संध्या हो गौरी
तुम ही मेरी प्रभात जी
वचन है मेरा ना छोडूंगा
कभी तुम्हारा हाथ जी
सदा रहे हैं सदा रहेंगे
गौरी शंकर साथ जी
हे गोरा पार्वती
हे गोरा पार्वती
जी भोलेनाथ जी
ओ शंकरनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी
ओ शंभूनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी
ओ शंकरनाथ जी
ओ मेरा भोला है
मेरे साथ साथ
मैं झूम झूम के नाचूँ
मेरा भोला है
मेरे साथ साथ
मैं झूम झूम के नाचूँ
मैं झूम झूम के नाचूँ
अर्रे घूम घुम के नाचूँ
मेरा भोला, हो मेरा भोला
मेरा भोला है
मेरे साथ साथ
मैं झूम झूम के नाचूँ
मेरा भोला है
मेरे साथ साथ
मैं घुम घुम के नाचूँ
हो भोलेनाथ जी
हो शम्भू नाथ जी

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धर्म: राष्ट्रीयता का सार

धर्म हर प्रामाणिक भारतीय घर की नींव है, जो संस्कृति को आकार देता है और राष्ट्रीय पहचान को परिभाषित करता है। यह जीवन के विशाल वृक्ष की जड़ और तना के रूप में कार्य करता है, जो मानव प्रयास के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करने वाली अनेक शाखाओं का समर्थन करता है। इन शाखाओं में प्रमुख हैं दर्शन और कला, जो धार्मिक विश्वासों द्वारा प्रदान की गई पोषण पर फलते-फूलते हैं। यह आध्यात्मिक नींव ज्ञान और सौंदर्य की समृद्ध बुनाई को बढ़ावा देती है, जो एक सामंजस्यपूर्ण अस्तित्व बनाने के लिए एक-दूसरे में घुलमिल जाती है। भारत में, धर्म केवल अनुष्ठानों का एक समूह नहीं है बल्कि एक गहन शक्ति है जो विचार, रचनात्मकता और सामाजिक मूल्यों को प्रभावित करती है। यह रोजमर्रा की जिंदगी के ताने-बाने को बुनता है, यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय होने का सार आध्यात्मिकता में निहित रहे, पीढ़ियों के पार चले और सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखे।

गौ सूक्त

आ गावो अग्मन्नुत भद्रमक्रन्सीदन्तु गोष्ठे रणयन्त्वस्मे। प्रजावतीः पुरुरूपा इह स्युरिन्द्राय पूर्वीरुषसो दुहानाः। इन्द्रो यज्वने पृणते च शिक्षत्युपेद्ददाति न स्वं मुषायति। भूयोभूयो रयिमिदस्य वर्धयन्नभिन्ने खिल्ये नि दधाति देवयुम्। न ता नशन्ति न दभाति तस्करो नासामामित्रो व्यथिरा दधर्षति। देवाँश्च याभिर्यजते ददाति च ज्योगित्ताभिः सचते गोपतिः सह। न ता अर्वा रेणुककाटो अश्नुते न संस्कृतत्रमुप यन्ति ता अभि। उरुगायमभयं तस्य ता अनु गावो मर्तस्य वि चरन्ति यज्वनः। गावो भगो गाव इन्द्रो मे अच्छान्गावः सोमस्य प्रथमस्य भक्षः। इमा या गावः स जनास इन्द्र इच्छामीद्धृदा मनसा चिदिन्द्रम्। यूयं गावो मेदयथा कृशं चिदश्रीरं चित्कृणुथा सुप्रतीकम्। भद्रं गृहं कृणुथ भद्रवाचो बृहद्वो वय उच्यते सभासु। प्रजावतीः सूयवसं रिशन्तीः शुद्धा अपः सुप्रपाणे पिबन्तीः। मा व स्तेन ईशत माघशंसः परि वो हेती रुद्रस्य वृज्याः। उपेदमुपपर्चनमासु गोषूप पृच्यताम्। उप ऋषभस्य रेतस्युपेन्द्र तव वीर्ये। ऋग्वेद.६.२८

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व्यासजी को पुत्र प्राप्ति के लिए वर किसने दिया ?

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