सद्भिस्तु लीलया प्रोक्तं शिलालिखितमक्षरम् |
असद्भिः शपथेनोक्तं जले लिखितमक्षरम् ||

 

सज्जन जो बातों ही बातों में बोलते है उस कार्य को भी कर देते है | वह बात पत्थर में लिखे हुए अक्षर के जैसे होता है | दुर्जन जिस बात को शपथ लेकर भी बोलते है उस कार्य को भी नहीं करते | इस लिए उनकी बात पानी में लिखे हुए अक्षर के जैसे माना जाता है |

 

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बहुत अच्छी अच्छी जानकारी प्राप्त होती है 🙏🌹🙏 -Manjulata srivastava

सनातन धर्म के भविष्य के लिए वेदधारा के नेक कार्य से जुड़कर खुशी महसूस हो रही है -शशांक सिंह

Om namo Bhagwate Vasudevay Om -Alka Singh

आपके शास्त्रों पर शिक्षाएं स्पष्ट और अधिकारिक हैं, गुरुजी -सुधांशु रस्तोगी

वेदधारा के धर्मार्थ कार्यों में समर्थन देने पर बहुत गर्व है 🙏🙏🙏 -रघुवीर यादव

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हनुमान जी का नाम हनुमान क्यों पड़ा?

अंजनी पुत्र भूखे थे और आकाश में सूर्य को देखा। उनको लगा कि वह कोई फल होगा और सूर्य की ओर कूदा। यह देखकर इन्द्र को लगा कि सूर्य पर कोई आक्रमण कर रहा है। इन्द्र ने बजरंगबली के हनु (जबडे) पर वज्र से प्रहार किया। उस घाव का चिह्न जबडे पर होने के कारण वे हनुमान कहलाने लगे।

सत्य की शक्ति -

जो सत्य के मार्ग पर चलता है वह महानता प्राप्त करता है। झूठ से विनाश होता है, परन्तु सच्चाई से महिमा होती है। -महाभारत

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उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ के अलावा ज्योतिर्लिंग के समान मान्यता प्राप्त मंदिर कौन सा है ?

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