अलोपी देवी मंदिर अलोपीबाग, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह त्रिवेणी संगम के पास है, जहां गंगा, यमुना, और सरस्वती नदियों का संगम होता है।
अलोपी देवी मंदिर में मूर्ति नहीं है । इसके बजाय, यहाँ लकड़ी की पालकी या डोली की पूजा की जाती है। 'अलोपी' का अर्थ 'गायब हो जाना' है। यह मंदिर उन सम्मानित शक्ति पीठों में से एक है, जहां देवी सती का अंग गिरा था।
यह मंदिर उस स्थान को चिह्नित करता है जहां देवी सती की उंगलियाँ गिरी थीं और गायब हो गयी।
एक अन्य लोकप्रिय कथा बताती है कि एक दुल्हन अपने बारात से रहस्यमय तरीके से गायब हो गई थी जब उसकी बारात डाकुओं द्वारा लूटी गई थी। लुटेरों ने डोली को खाली पाया, और इस चमत्कारी गायब होने के कारण इस स्थान पर मंदिर की स्थापना हुई। इस दुल्हन की पूजा अलोपी देवी, गायब हुई कन्या के रूप में की गई ।
अलोपी देवी मंदिर के खुलने का समय क्या है?
मंदिर सुबह 5:00 बजे से रात 9:30 बजे तक खुला रहता है।
मंदिर को सालभर खुला रहता है, लेकिन नवरात्रि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो भक्तों की बड़ी भीड़ को आकर्षित करता है ।
ऋग्वेद मण्डल १०. सूक्त ८५ में स्त्रीधन का उल्लेख है। वेद में स्त्रीधन के लिए शब्द है- वहतु। इस सूक्त में सूर्यदेव का अपनी पुत्री को वहतु के साथ विदा करने का उल्लेख है।
Veda calls humidity in the atmosphere Agreguvah (अग्रेगुवः). It is also called Agrepuvah (अग्रेपुवः) since it purifies the atmosphere.
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