घी, दूध और दही के द्वारा ही यज्ञ किया जा सकता है। गायें अपने दूध-दही से लोगों का पालन पोषण करती हैं। इनके पुत्र खेत में अनाज उत्पन्न करते हैं। भूख और प्यास से पीडित होने पर भी गायें मानवों की भला करती रहती हैं।
व्यासजी ने १८ पर्वात्मक एक पुराणसंहिता की रचना की। इसको लोमहर्षण और उग्रश्रवा ने ब्रह्म पुराण इत्यादि १८ पुराणों में विभजन किया।
हिमवत्युत्तरे पार्श्वे सुरसा नाम यक्षिणी। तस्या नूपुरशब्देन विशल्या भवतु गर्भिणी स्वाहा॥....
हिमवत्युत्तरे पार्श्वे सुरसा नाम यक्षिणी।
तस्या नूपुरशब्देन विशल्या भवतु गर्भिणी स्वाहा॥
अच्छे जीवन के लिए अथर्ववेद मंत्र
शं न इन्द्राग्नी भवतामवोभिः शं न इन्द्रावरुणा रातहव्या �....
Click here to know more..चार्वाक दर्शन - खुशी और आनंद को गले लगाना
चार्वाक दर्शन एक प्राचीन भारतीय सिद्धांत है जो जीवन में �....
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नमस्तुभ्यं भगवते वासुदेवाय धीमहि| प्रद्युम्नायानिरुद्�....
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