जय रघुनन्दन जय सियाराम,
हे दुखभंजन तुम्हे प्रणाम।।
भ्रात भ्रात को हे परमेश्वर
स्नेह तुन्ही सिखलाते,
नर नारी के प्रेम की ज्योति,
जग में तुम्ही जलाते,
ओ नैया के खेवन हारे,
जपूं मै तुम्हरो नाम,
जय रघुनंदन जय सियाराम,
हे दुखभंजन तुम्हे प्रणाम।।
तुम ही दया के सागर प्रभु जी,
चैन तुम्ही से पाए बेकल,
मनवा सांझ सकारे,
जो भी तुम्हरी आस लगाये,
ने उसी के काम,
जय रघुनंदन जय सियाराम,
हे दुखभंजन तुम्हे प्रणाम।।
जय रघुनन्दन जय सियाराम,
हे दुखभंजन तुम्हे प्रणाम।।
सुपुष्ट सुंदर और दूध देने वाली गाय को बछडे के साथ दान में देना चाहिए। न्याय पूर्वक कमायी हुई धन से प्राप्त होनी चाहिए गौ। कभी भी बूढी, बीमार, वंध्या, अंगहीन या दूध रहित गाय का दान नही करना चाहिए। गाय को सींग में सोना और खुरों मे चांदी पहनाकर कांस्य के दोहन पात्र के साथ अच्छी तरह पूजा करके दान में देते हैं। गाय को पूरब या उत्तर की ओर मुह कर के खडा करते हैं और पूंछ पकडकर दान करते हैं। स्वीकार करने वाला जब जाने लगता है तो उसके पीछे पीछे आठ दस कदम चलते हैं। गोदान का मंत्र- गवामङ्गेषु तिष्ठन्ति भुवनानि चतुर्दश। तस्मादस्याः प्रदानेन अतः शान्तिं प्रयच्छ मे।
आसीना सरसीरुहे स्मितमुखी हस्ताम्बुजैर्बिभ्रति दानं पद्मयुगाभये च वपुषा सौदामिनीसन्निभा । मुक्ताहारविराजमानपृथुलोत्तुङ्गस्तनोद्भासिनी पायाद्वः कमला कटाक्षविभवैरानन्दयन्ती हरिम् ॥
नमस्कार: विनम्र अभिवादन के लिए एक सरल मार्गदर्शिका
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कर्पूरेण वरेण पावकशिखा शाखायते तेजसा वासस्तेन सुकम्पते....
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