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व्यक्तिगत निष्ठा समाज की नींव है

व्यक्तिगत भ्रष्टाचार अनिवार्य रूप से व्यापक सामाजिक भ्रष्टाचार में विकसित होता है। सनातन धर्म के शाश्वत मूल्य- सत्य, अहिंसा और आत्म-संयम- एक न्यायपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण समाज को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। केवल इन गुणों की घोषणा करना ही पर्याप्त नहीं है; उन्हें व्यक्तिगत स्तर पर वास्तव में अभ्यास किया जाना चाहिए। जब व्यक्तिगत अखंडता से समझौता किया जाता है, तो यह एक लहरदार प्रभाव पैदा करता है, जिससे सामाजिक मूल्यों का ह्रास होता है। यदि हम व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा के महत्व को नजरअंदाज करेंगे तो समाज को विनाशकारी परिणाम भुगतने होंगे। समाज की रक्षा और उत्थान के लिए प्रत्येक व्यक्ति को इन मूल्यों को अपनाना चाहिए और अटूट निष्ठा के साथ कार्य करना चाहिए।

अंत्येष्टि का अर्थ क्या है?

इष्टि का अर्थ है यज्ञ। जीवन के अंत में किये जानेवाला यज्ञ अथवा इष्टि है अंत्येष्टि। इसमें जीवन भर अपने शरीर से ईश्वर की सेवा करने के बाद, उसी शरीर को एक आहुति के रूप में अग्नि देव को समर्पित किया जाता है।

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अग्निस्नान क्या है?

ॐ अञ्जनासुताय महावीर्यप्रमथनाय महाबलाय जानकीशोकनिवारणाय श्रीरामचन्द्रकृपापादुकाय ब्रह्माण्डनाथाय कामदाय पञ्चमुखवीरहनुमते स्वाहा....

ॐ अञ्जनासुताय महावीर्यप्रमथनाय महाबलाय जानकीशोकनिवारणाय श्रीरामचन्द्रकृपापादुकाय ब्रह्माण्डनाथाय कामदाय पञ्चमुखवीरहनुमते स्वाहा

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