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अनाहत चक्र के गुण और स्वरूप क्या हैं?

अनाहत चक्र में बारह पंखुडियां हैं। इनमें ककार से ठकार तक के वर्ण लिखे रहते हैं। यह चक्र अधोमुख है। इसका रंग नीला या सफेद दोनों ही बताये गये है। इसके मध्य में एक षट्कोण है। अनाहत का तत्त्व वायु और बीज मंत्र यं है। इसका वाहन है हिरण। अनाहत में व्याप्त तेज को बाणलिंग कहते हैं।

अंगद

अंगद वानरराज बाली के पुत्र थे। अंगद बुद्धिमान थे, अपने पिता के समान शक्तिशाली थे, और भगवान श्रीराम के प्रति समर्पित भक्त थे। बाली को श्रीराम ने सुग्रीव की पत्नी का हरण करने और अन्यायपूर्वक सिंहासन हड़पने के अपराध में मारा। मृत्यु के समय बाली ने श्रीराम को ईश्वर के रूप में पहचाना और अपने पुत्र अंगद को उनकी सेवा में समर्पित कर दिया। श्रीराम ने बाली की अंतिम इच्छा का सम्मान किया, अंगद को स्वीकार किया, और उन्हें किष्किंधा का युवराज बनाया। बाद में अंगद ने सीता की खोज के लिए वानर सेना का नेतृत्व किया।

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