संध्या देवी ब्रह्मा जी की मानस पुत्री थी। संध्या के सौन्दर्य को देखकर ब्रह्मा को स्वयं उसके ऊपर कामवासना आयी। संध्या के मन में भी कामवासना आ गई। इस पर उन्होंने शर्मिंदगी महसूस हुई। संध्या ने तपस्या करके ऐसा नियम लाया कि बच्चों में पैदा होते ही कामवासना न आयें, उचित समय पर ही आयें। संध्या देवी का पुनर्जन्म है वशिष्ठ महर्षि की पत्नी अरुंधति।
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्
ॐ क्लीं सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि । एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद्वैरिविनाशनं क्लीं नमः ॥....
ॐ क्लीं सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि ।
एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद्वैरिविनाशनं क्लीं नमः ॥
अथर्ववेद का अनु सूर्यमुदायताम सूक्त
अनु सूर्यमुदयतां हृद्द्योतो हरिमा च ते । गो रोहितस्य वर�....
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हनुमत् पंचरत्न स्तोत्र
वीताखिलविषयच्छेदं जातानन्दाश्रु- पुलकमत्यच्छम्। सीता�....
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