विपदि धैर्यमथाभ्युदये क्षमा
सदसि वाक्पटुता युधि विक्रमः |
यशसि चाभिरुचिर्व्यसनं श्रुतौ
प्रकृतिसिद्धमिदं हि महात्मनाम् ||

विपदाओं के आने पर धैर्य, समुन्नति के आने पर क्षमा, सभा में वाक्पटुता, युद्ध होने पर पराक्रम, यश में रुचि और वेदों में आसक्ति - ये गुण अपने आप ही महात्माओं में होते हैं |

 

 

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Ye sanatani ke dharohar hai. Every Hindu should know our legacy. -Manoranjan Panda

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आपकी वेबसाइट अद्वितीय और शिक्षाप्रद है। -प्रिया पटेल

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अभिमन्यु की मृत्यु का स्थान

जिस स्थान पर अभिमन्यु की मृत्यु चक्रव्यूह के अंदर हुई, उसे वर्तमान में अभिमन्युपुर के नाम से जाना जाता है। यह कुरूक्षेत्र शहर से 8 किमी की दूरी पर है। इसे पहले अमीन, अभिमन्यु खेड़ा और चक्रम्यु के नाम से जाना जाता था।

अतिथि सत्कार का महत्त्व

अतिथि को भोजन कराने के बाद ही गृहस्थ को भोजन करना चाहिए। अघं स केवलं भुङ्क्ते यः पचत्यात्मकारणात् - जो अपने लिए ही भोजन बनाता है व्ह केवल पाप का ही भक्षण कर रहा है।

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