महत्वाद्भारवत्वाच्च महाभारतमुच्यते। एक तराजू की एक तरफ महाभारत और दूसरी बाकी सभी धर्म ग्रन्थ रखे गये। देवों और ऋषियों के सान्निध्य में व्यास जी के आदेश पर यह किया गया था। महाभारत बाकी सभी ग्रन्थों से भारी दिखाई दिया। भार और अपने महत्त्व के कारण इस ग्रन्थ का नाम महाभारत रखा गया। धर्म और अधर्म का दृष्टांतों के साथ विवेचन महाभारत के समान अन्य किसी भी ग्रन्थ में नहीं हुआ है।
महर्षि दधीचि की स्मृति में ।
ॐ ह्रीं योगिनि योगिनि योगेश्वरि योगेश्वरि योगभयङ्करि सकलस्थावरजङ्गमस्य मुखहृदयं मम वशमाकर्षय आकर्षय स्वाहा....
ॐ ह्रीं योगिनि योगिनि योगेश्वरि योगेश्वरि योगभयङ्करि सकलस्थावरजङ्गमस्य मुखहृदयं मम वशमाकर्षय आकर्षय स्वाहा